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चाशनी को 120–122 डिग्री से0ग्रे0 तापक्रम पर कढ़ाई को भट्टी से उतार लेते हैं और थोड़ा ठण्डा होने पर उसे चाक में ट्रांसफर कर देते हैं तथा रबा बनने के लिये उसे बिना घोटे छोड़ देते हैं। गुड़ जमना प्रारम्भ होते ही लकड़ी के स्क्रैपर से कूटकर चूर्ण बना लिया जाता है। इस चूर्ण को 1–3 मि0मी0 छिद्र युक्त छलनियों से छान लिया जाता है तथा चूर्ण में नमी का प्रतिशत 1 प्रतिशत रहने तक सुखाकर पॉलीथीन पैकेट्स में पैक कर लिया जाता है। |
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मानसून पूर्व गुड़ को भलीभॉति सुखाकर (गुड़ में नमी 5 प्रतिशत से कम रहने पर) पॉलिएस्टर फिल्म अथवा अल्काथीन में पैक करके भण्डार गृह में भण्डारित करना चाहिये। गुड़ को शीतगृह में पूर्णतया सुरक्षित रखा जा सकता है।गुड़ बनाते समय चाक में 2% सोंढ पाउडर मिलाने से गुड़ स्वादिष्ट होने के साथ साथ उसकी भण्डारण क्षमता बढ़ जाती है |
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हमारे देश में, विशेषकर उ0प्र0 में गुड़ भोजन का एक महत्वपूर्ण अंग समझा जाता है। हमारे भारतीय समाज में हर मांगलिक अवसर पर गुड़ का प्रयोग किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में अतिथि सत्कार में गुड़ व घी सम्पन्नता व शिष्टाचार का प्रतीक माना जाता है। नये प्रतिष्ठान का शुभ मुहूर्त, शादी–ब्याह या अन्य कोई मांगलिक अवसर हो तो गुड़ की उपस्थिति के बिना अनिवार्यता पूर्ण नहीं होती है। ग्रामीण अंचलों में पालतू पशुओं आदि को प्रसव काल के उपरान्त गुड़ खिलाने का रिवाज है ताकि माता पशु में दुग्ध संचय अधिक मात्रा में हो सके साथ ही प्रसव के दौरान ह्रास हुई ऊर्जा की क्षतिपूर्ति शीघ्र हो सके। गुड़ में वे समस्त पोषक तत्व पाये जाते हैं जो शरीर के मेन्टीनेन्स के लिये आवश्यक होते हैं। प्रोटीन शरीर के टूटे फूटे तन्तुओं की मरम्मत करता है, वसा शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। स्वास्थ्य के लिये आवश्यक कैल्शियम, आयरन तथा विटामिन बी0 भी गुड़ में विद्यमान रहता है। इसी कारण गुड़ की गणना प्रमुख स्वास्थ्यवर्धक पदार्थों में की जाती है। |
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गुड़ एवं चीनी में पाये जाने वाले प्रमुख पोषक तत्व
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क्र0
सं0 |
मिठास का रूप |
सुक्रोज |
ग्लूकोज |
प्रोटीन |
फैट |
कैल्शियम |
आयरन |
विटामिन बी |
1 |
चीनी |
99.00 |
- |
- |
- |
- |
0.9 |
- |
2 |
पाउडर गुड़ |
60-70 |
05-09 |
0.4 |
0.9 |
1.2 |
1.2 |
- |
3 |
ठोस गुड़ |
50-60 |
05-15 |
0.4 |
0.1 |
0.8 |
1.1 |
- |
4 |
तरल गुड़ |
40-60 |
15-25 |
0.5 |
0.1 |
3.0 |
1.1 |
14 म्यू |
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आयुर्वेद में गुड़ को अत्यन्त लाभदायक, आयुवर्धक तथा शरीर को स्वस्थ रखने वाला बताया गया है। सश्रुत संहिता में गुड़ वात, पित्त नाशक, रक्तशोधक आदि गुणों के कारण वर्णित है। हरित संहिता में भी गुड़, क्षय, खॉंसी, क्षीणता तथा रक्त की कमी आदि रोगों में हितकारी बताया गया है। गुड़ के प्रमुख औषधीय गुण निम्नवत् हैं :– |
1 |
गुड़ वातनाशक, मूत्रशोधक तथा धातुवर्धक होता है। |
2 |
गुड़ को अदरक के साथ शुद्ध घी में पकाकर सेवन करने से सर्दी व खॉंसी में लाभप्रद होता है। |
3 |
गुड़ पाचन शक्ति बढ़ाता है तथा भोजन को सुपाच्य बनाता है। |
4 |
थोड़ा सा पुरानागुड़ खाने से रक्त शुद्ध होता है तथा गठियारोग में आराम मिलता है। |
5 |
आयुर्वेदिक सीरप आदि बनाने में भी गुड़ का प्रयोग होता है। |
6 |
गुड़ को दूध मे हल्दी के साथ मिलाकर पीने से शरीर का दर्द कम हो जाता है। |
7 |
यूनानी पद्धति मे गुड़ को विभिन्न जड़ी–बूटियों के साथ मिलाकर औषधियॉं बनायी जाती हैं। |
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