मृदा परीक्षण एवं खादीय सुझाव हेतु मृदा न्यादर्श इस प्रकार लेना चाहिए जो पूरे खेत का प्रतिनिधित्व करे। सम्पूर्ण खेत को छोटे–छोटे टुकड़ों में मृदा के ढाल, शस्य प्रणाली, उर्वरकों का प्रयोग एवं मृदा का प्रकार इत्यादि को ध्यान में रखकर विभाजित कर लेते हैं। इसके उपरान्त एक एकड़ खेत में 10–15 स्थानों से अग्रेंजी के वी V अक्षर के आकार का लगभग 23 सेमी गहरा गड्ढ़ाखोदते हैं। इस गड्ढ़े की दीवार से मृदा की ऊपरी सतह से 1.5 से 2.0 सेमी मोटी परत काटकर प्रत्येक गड्ढे़ से मृदा निकालकर एक साथ बाल्टी में एकत्रित करते हैं तथा इसमें जड़े व कंकड़ इत्यादि को निकाल देते हैं। इस मृदा को गोल ढ़ेर रूप में रखकर चार भागों में बांट देते हैं। आमने सामने के दो भागों को हटा देते हैं फिर मिलाकर चार भागों में विभाजित करते हैं। यह प्रक्रिया तब तक अपनाते हैं जबतक 1/2 किग्रा मृदा शेष रह जाये। इस मृदा को एक साफ थैली में भरकर कृषक का नाम, पता, खसरा नं0, सिंचाई का साधन, बोयी जाने वाली फसल का नाम तथा दिनॉंक एक सूचना पत्र में अंकित कर देते हैं। इस प्रकार यह एक आदर्श मृदा न्यादर्श कहलायेगा जो कि पूरे खेत का प्रतिनिधित्व करेगा। खादीय सुझाव हेतु लिए गये मृदा न्यादर्श का प्रयोगशाला में विश्लेषण करके निम्न तालिकाके अनुसार उर्वरा स्तर में विभाजित करते हैं:– |