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उ0प्र0 गन्ना शोध परिषद्, शाहजहॉंपुर उत्तरी भारत का एक प्रमुख जर्मप्लाज्म संग्रहण केन्द्र है। इस संस्थान पर गन्ने की विभिन्न स्पीशीज जैसे–सैकेरम आफिसिनेरम, सैकेरम स्पान्टेनियम, सैकेरम साइनेन्स, सैकेरम बारबेरी, सैकेरम रोबस्टम के अतिरिक्त गन्ने की देशी एवं विदेशी प्रजातियों के कुल 526 क्लोन की आनुवांशिकीय शुद्धता बनाये रखते हुये रोगमुक्त अवस्था में संरक्षित किये जा रहे हैं मूल्यांकन उपरान्त को0शा0 8436, को0शा0 88230, को0से0 92423, को0से0 98231, को0 0238, को0 0118, एवं को0लख0 8102 अच्छी पायी गयी हैं। इनके आपसी संकरण से अधिक उपज एवं उच्च शर्करा युक्त प्रजाति का विकास सम्भव है। |
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संस्थान पर सैकेरम स्पान्टेनियम के कुल 44 क्लोन संग्रहीत हैं जिन्हें संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों से एकत्रित किया गया है जिनका मात्रात्मक एवं गुणात्मक गुणों के आधार पर मूल्यांकन किया गया। सितम्बर माह में एच0आर0 ब्रिक्स 2.9 प्रतिशत से 13.5 तक पाया गया। |
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गन्ने की पेड़ी क्षमता के आनुवांशिकीय अध्ययन के अन्तर्गत पाया गया कि जिन प्रजातियों में मिल योग्य गन्नों की संख्या, पोरियों की संख्या व मिट्टी के अन्दर अवशेष के रूप में बची आंखों की संख्या प्रति स्टूल में अधिक होगी वे अच्छी पेड़ी देने वाली प्रजाति होगीं। |
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यू0पी0 9530, को0से0 98231, को0से0 96436, कोसे0 92423, को0पन्त0 84211, को0लख0 8102 एवं बी0ऊ0 91 ऊसर भूमि हेतु तुलनात्मक अच्छी पायी गयी हैं। इनका पैरेंट के रूप में उपयोग कर उपयुक्त प्रजाति का विकास किया जा सकता है। |
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सैकेरम स्पान्टेनियम में पुष्पण अक्टूबर के मध्य तक लगभग समाप्त हो जाता है जबकि गन्ने में इसके लगभग 40 से 45 दिन बाद पुष्पण प्रारम्भ होता है। अत: दोनों के बीच संकरण का कार्य सम्भव नहीं हो पाता है। इसको ध्यान में रखते हुये सैकेरम स्पान्टेनियम के परागकणों को कम तापमान (–80° से0ग्रे0) पर रखकर अंकुरण क्षमता बनाये रखते हुये गन्ने के साथ संकरण उपरांत सीडलिंग प्राप्त की जा सकी है। |
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संस्थान पर संग्रहीत सैकेरम स्पोन्टेनियम एवं गन्ने की व्यवसायिक प्रजातियों में कोशानुवंशिकीय अध्ययन के अन्तर्गत गुणसूत्रों की संख्या का अध्ययन किया गया। सैकेरम स्पोन्टेनियम में गुणसूत्रों की संख्या 2n= 40 से 64 तक तथा व्यवसायिक प्रजातियों में 2n= 96 से 128 तक पायी गयीं। |
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