बायोटेक्नोलॉजी

सेन्टर फार शुगरकेन बायोटेक्नोलॉजी, गन्ना शोध संस्थान, शाहजहॉंपुर

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उ0प्र0 गन्ना शोध परिषद, शाहजहॉपुर की बायोटेक्नोलोजी प्रयोगशाला में मालीकुलर मारकर्स द्वारा अधिक गन्ना एवं चीनी उत्पादन करने के साथ ही रोग एवं कीट रोधिता हेतु उत्तरदायी जीन की पहचान करने के उद्देश्‍य से बायोटेक्नोलोजी की आधुनिकतम् प्रयोगशालाओं जैसे:– डी0एन0ए0 फिंगर प्रिटिंग, सिक्वेन्सिंग, क्लोनिंग, प्रोटिओमिक्स, बायोइन्फारमेटिक्स तथा जेनेटिक ट्रान्सफारमेशन की स्थापना की गयी तथा परियोजना में निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप शोध कार्य किया जा रहा है, जिसका विवरण निम्नवत है।

क्र.सं. निर्धारित लक्ष्य उपलब्धियाँ
1. जीनोमिक्स
शुगरकेन जर्म प्लाज्म की जेनेटिक डाइवरसिटी ज्ञात करना।
संस्थान पर उपलब्ध 84 जीनोटाइप्स की फिगंर प्रिन्टिंग कर ली गयी है। 115 जीनोटाइप्स की फिंगर प्रिन्टिंग एवं मालीकुलर डाइवरसिटी ज्ञात करने का कार्य प्रगति पर है। डी0एन0ए0 फिंगर प्रिन्टिंग की सहायता से मालीकुलर स्तर पर गन्ने की प्रजातियों में समानता व विविधता का अध्ययन कर भविष्य में संकरण के माध्यम से वांछित गुणों वाली उन्नतिशील प्रजातियों का विकास किया जा सकेगा।>
2. जेनेटिक मैप गन्ने में मिठास को प्रभावित करने वाले लक्षणों का UP 9530 * Co 86011 की 135 संस्तियों की 815 मारकर से जिनोटाइपिंग की गयी। परिणामस्वरूप 7735.486 सेंटीमार्गन का जेनेटिक मैप तैयार किया गया जो 108 क्रोमोसोम्स (लिंकेज ग्रुप-LG) पर स्थित है इस मैप में मारकर्स/जीन की हिस्सेदारी कुल गन्ने के जीनोम का प्रतिशत है इसका उपयोग मॉलीक्यूलर ब्रीडिंग द्वारा उन्नतशील गन्ना प्रजातियों के विकास में किया जायेगा।
3. मिठास तथा काना रोग रोधी जीन की पहचान मॉलीक्यूलर ब्रीडिंग विधि से अधिक चीनी देने वाले जिनोटाईप्स का चयन करने हेतु शर्करा जीन का जीन आधारित लिंकेज मैप तैयार किया गया निम्नलिखित मारकर्स प्रभावी पाये गए।
4. काना रोग से सम्बन्धित जीन की की पहचान। गन्ने की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले कारकों एवं काना रोग प्रतिरोधक जीन एनालॉग (RGA) के जीनोमिक सिक्वेंस से 14 संरक्षित इंस्ट्रान स्कैनिंग प्राइमर(CISP) एवं 80 सरल अनुक्रम दोहराने वाले प्राइमर(SSR) को विकसित किया गया। कुल 13 CISP तथा 67 SSR प्राइमर पॉलीमारफिक /प्रभावी पाये गए काना रोग बीमारी के लिए उत्तरदायी जीन की पहचान करने का शोध कार्य प्रगति पर है।
5. काना रोग का जैविक नियंत्रण गन्ने की काना रोग बीमारी का जैविक नियंत्रण के लिए उत्तरदायी प्रमुख जीन इक-42 के योगदान का ट्राइकोडर्मा की प्रजातियों तथा अन्य बायो एजेंट्स के साथ अध्ययन किया गया डी0 एन0 ए0 फिंगर प्रिंटिंग द्वारा देखा गया की इक-42 जीन की अभिव्यक्ति(Expression) का धनात्मक एवं सीधा सम्बन्ध काना रोग को नियंत्रित करने वाले ट्राइकोडर्मा हारजियानम (बायोएजेण्ट) में सबसे अधिक पाया गया। अतः ट्राइकोडर्मा हारजियानम नामक बायोएजेण्ट का उपयोग करने से गन्ने में लगने वाली काना रोग बीमारी का प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है।
6. पोक्का बोईंग बीमारी के फफूंदी की जेनेटिक विभिन्नता पोक्का बोईंग बीमारी के लिए उत्तरदायी फ्यूजेरियम नामक फफूंदी की विभिन्न प्रजातियों के 15 आइसोलेटस को प्रदेश की विभिन्न गन्ना उत्पादक चीनी मिल क्षेत्रों से संकलित कर संवर्धित किये गये । पक्का बोइंग बीमारी को नियन्त्रित करने के उद्देश्य से Fusariom spp. के 15 आइसोलेटस का करेक्टराइज़ेशन के उपरान्त DNA Sequencing की गयी।
7. डी0 एन0 ए0 फिंगर प्रिंटिंग पैतृक का चुनाव , भ्रमित करने वाली प्रजातियों के पृथक्करण तथा अनुवांशिक शुद्धता का परीक्षण करने हेतु शुगरकेन स्पेसिफिक मार्कर्स का विकास किया गया। जिसके फलस्वरूप 26 गन्ना प्रजातियों की डी0एन0ए0 फिंगर प्रिंटिंग की गई ।
8. ट्रांसजेनिक गन्ने का विकास हाइग्रोजेनिक के स्थान पर पर्यावरण हितैषी जीवाणु नाशक केनामाइसिन मारकर के साथ Cry 1 AC (बोरररोधी जीन) तथा BECLIN 1(मेल स्टेराइल जीन) को सहकल्चर के उपरान्त को0 शा0 08272 तथा को0 शा0 96268 में स्थानान्तरित करने के उपरान्त पुनर्जनन मीडिया में पाँच चयन चक्र के उपरान्त बी0 टी0 जीन को को0 शा0 96268 तथा बैकलिन 1 जीन को प्रजाति अगेती गन्ना प्रजाति को0 शा0 96268,को0 शा0 08272 तथा को0 0238 में प्रत्यारोपित कर बोरर रोधी बी टी गन्ना एवं मेल स्टेराइल प्रजाति के विकास का कार्य प्रगति पर है।