प्रजनन परियोजना के अंतर्गत गन्ने की होनहार प्रजातियों के विकास हेतु चल रहे प्रयोग
1. |
संकरण विधि द्वारा अधिक उपज एवं शर्करा प्रतिशत देने वाली रोगरोधी प्रजातियों का विकास करना। |
2. |
कोयम्बटूर, सेवरही एवं शाहजहॉंपुर मं प्रभावित संकरणों के फ्लफ से गन्ने की पौध (सीडलिंग) तैयार करना। |
3. |
उन्नतशील प्रजातियों के चयन हेतु गन्ना बीज की पौध का शीत काल मे कटाई उपरांत पेड़ी का अध्ययन। |
4. |
सीडलिंग अवस्था में चुनी गयी होनहार संततियों का सी–1 (क्लोनल–1) पीढ़ी में अध्ययन। |
5. |
सी–1पीढ़ी से चयन की गयी होनहार प्रजातियों का प्राथमिक प्रजातीय परीक्षण (पी0वी0टी0) में अध्ययन करना। |
6. |
प्रदेश की विभिन्न मृदा जलवायु
मे स्वीकृति हेतु शीघ्र तथा मध्य–देर से पकने वाली होनहार प्रजातियों को चीनी
मिल/शोध प्रक्षेत्र पर पौधो एव पेड़ो का अध्ययन करना। |
7. |
स्वीकृत एवं होनहार
प्रजातियों का प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में शरद् एवं बसन्तकालीन परीक्षणों में
अध्ययन करना। |
8. |
प्रमापीय प्रजातीय परीक्षण एवं समरूप जातीय परीक्षण (बसन्त) की पेड़ी का अध्ययन करना। |
9. |
अखिल भारतीय समन्वित शोध परियोजना ए0आर्इ0सी0आर0पी0(गन्ना) के अन्तर्गत चयनित शीघ्र, एवं मध्य–देर से पकने वाली प्रजातियों का अध्ययन करना। |
उ0प्र0 में प्रजातियों की स्वीकृति हेतु कोर कमेटी द्वारा 1998 में निर्धारित मापदण्ड
माप दण्ड |
शीघ्र पकने वाली |
मध्यदेर से पकने वाली |
फसल की आयु |
10–11 माह |
11-12 माह |
गन्ने में शर्करा प्रतिशत (पोल प्रतिशत इन केन) |
13.0 |
12.5 |
फाइबर प्रतिशत |
13-15 |
15 |
गन्ना उपज टन/हे0 |
75-80 |
90 |
काना रोग के प्रति व्यवहार |
मध्यम रोगरोधी |
मध्यम रोगरोधी |
उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों हेतु स्वीकृत गन्ना प्रजातियों की तालिका वर्ष 2021-22 (क्लिक करें)
उत्तर प्रदेश में स्वीकृत गन्ना प्रजातियों से सम्बंधित विवरण (क्लिक करें)