मृदा परीक्षण

मृदा परीक्षण एवं खादीय सुझाव

हरित क्रान्ति के समय मृदाये प्राकृतिक पोषक तत्वों से परिपूर्ण होने के कारण लघु प्रयास से खाद्यान उत्पादन में आशातीत सफलता मिली, परन्तु कृषि वैज्ञानिकों का मुख्य उद्देश्य उत्पादकता बढ़ाने के कारण मृदाओं के उर्वरा स्तर में निरन्तर कमी होती गयी। परिणाम स्वरूप पिछले दशक से अनुभव किया जा रहा है कि मुख्य फसलों के औसत उत्पादन में ठहराव की स्थिति आ गयी है। मृदा अकार्वनिक कणों, सड़े हुए कार्वनिक पदार्थो, वायु एवं जल का एक मिश्रण होती है। मृदा के भौतिक गुण, मृदा के उपयोग तथा पादप वृद्धि के प्रति इसके व्यवहार को प्रभावित करते हैं। ये गुण पौधों की जड़ों को मृदा में प्रवेश कराने, जल निकास एवं नमी धारण आदि में सहायक होते हैं। पादप पोषकों की प्राप्यता भी मृदा की भौतिक दशाओं से सम्बन्धित होती है लेकिन पिछले दशक में मृदा की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक क्रियाओं में तीव्र गिरावट हुई है। अत: मृदा उत्पादकता एवं उर्वरता को ध्यान में रखते हुए फसलों के उत्पादन के लिए मृदा परीक्षण आवश्यक है।

मृदा न्यादर्श

मृदा परीक्षण एवं खादीय सुझाव हेतु मृदा न्यादर्श इस प्रकार लेना चाहिए जो पूरे खेत का प्रतिनिधित्व करे। सम्पूर्ण खेत को छोटे–छोटे टुकड़ों में मृदा के ढाल, शस्य प्रणाली, उर्वरकों का प्रयोग एवं मृदा का प्रकार इत्यादि को ध्यान में रखकर विभाजित कर लेते हैं। इसके उपरान्त एक एकड़ खेत में 10–15 स्थानों से अग्रेंजी के वी V अक्षर के आकार का लगभग 23 सेमी गहरा गड्ढ़ाखोदते हैं। इस गड्ढ़े की दीवार से मृदा की ऊपरी सतह से 1.5 से 2.0 सेमी मोटी परत काटकर प्रत्येक गड्ढे़ से मृदा निकालकर एक साथ बाल्टी में एकत्रित करते हैं तथा इसमें जड़े व कंकड़ इत्यादि को निकाल देते हैं। इस मृदा को गोल ढ़ेर रूप में रखकर चार भागों में बांट देते हैं। आमने सामने के दो भागों को हटा देते हैं फिर मिलाकर चार भागों में विभाजित करते हैं। यह प्रक्रिया तब तक अपनाते हैं जबतक 1/2 किग्रा मृदा शेष रह जाये। इस मृदा को एक साफ थैली में भरकर कृषक का नाम, पता, खसरा नं0, सिंचाई का साधन, बोयी जाने वाली फसल का नाम तथा दिनॉंक एक सूचना पत्र में अंकित कर देते हैं। इस प्रकार यह एक आदर्श मृदा न्यादर्श कहलायेगा जो कि पूरे खेत का प्रतिनिधित्व करेगा। खादीय सुझाव हेतु लिए गये मृदा न्यादर्श का प्रयोगशाला में विश्लेषण करके निम्न तालिकाके अनुसार उर्वरा स्तर में विभाजित करते हैं:–

तत्वों के नाम क्षीण मध्यम उच्च
जैविक कार्बन (प्रतिशत) 0.5 से कम 0.5 से 0.75 0.75 से अधिक
उपलब्ध नत्रजन (किग्रा/हे0) 280 से कम 280-560 560 से अधिक
उपलब्ध फासफोरस (किग्रा/हे0) 10 से कम 10-24.6 24.6 से अधिक
उपलब्ध पोटाश (क्रिग्रा/हे0) 108 से कम 108 से 280 280से अधिक
उपलब्ध गंधक (मिग्रा/क्रिग्रा) 10.0 10.0-25.0 25.0से अधिक

उपरोक्त तालिका के अतिरिक्त अगर मृदायें ऊसर हैं तो पीएच,ई0सी0 तथा ई0एस0पी0 के आधार पर मृदाओं का वर्गीकरण किया जाता है। प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि 100 मी0टन/हे0 उपज वाली गन्ने की फसल भूमि से लगभग 180-250 किग्रा नत्रजन, 80 किग्रा फॉसफेट तथा 350 किग्रा पोटाश अवशोषित करती है। पोषक तत्वो की इस कमी की पूर्ति हेतु उपयुक्त रासायनिक उर्वरक तथा जैविक खादों द्वारा पूर्ति करना आवश्यक होता है। उ0प्र0 गन्ना शोध परिषद द्वारा अब तक 50 चीनी मिलों का मृदा सर्वेक्षण करके खादीय संस्तुतियॉं सम्बन्धित को भेजी जा चुकी हैं।